Saturday, April 3, 2010

कहानी कैसे भेजें .

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बॉय फ्रेंड ने की चुदाई .

मेरे पापा बहुत ही स्वार्थी हैं और हम तीन बहिने और एक भाई हैं। रिटायर होने के बाद वो हमारे दो कमरों के मकान के एक कमरे में ख़ुद रहने लगे और अपना सारा पैसा एक बक्से में चार चार ताले लगा के रखते थे यहाँ तक के मम्मी को घर घर जाकर काम करके खर्चा चलाना पड़ता था। मैं बहुत चुस्त थी, मासूम थी खेल कूद में तेज थी.

नागपुर में हुई हाफ़ मेराथन में मैंने भाग लिया और ४२वें स्थान पर रही, लड़कियों में १०वें स्थान पर रही। इसी वजह से मुझे जवाहर नवोदय विद्यालय में शारीरिक शिक्षा की अध्यापिका की नौकरी मिल गई। मेरी पोस्टिंग मणिपुर में हुई। उसके एक-डेढ़ साल के बाद मुझे केंद्रीय विद्यालय से शारीरिक शिक्षा की अध्यापिका की नौकरी का प्रस्ताव मिला और पोस्टिंग मिली उदयपुर, राजस्थान। मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं थी। मैंने सोचा था कि अब पहले अपनी छोटो बहिन की शादी करूंगी, फ़िर भाई बहिन को पढ़ाते हुए कोई अच्छा सा लड़का मिल गया तो शादी कर लूंगी।

मेरे ही स्कूल के प्राईमरी विभाग में एक अध्यापिका थी, उसका लड़का अतुल शादी शुदा था और दो बच्चों का बाप भी। लेकिन किसी प्राइवेट स्कूल में पार्ट टाइम नौकरी करता था। मैंने भावुकता में अपनी कहानी उस अध्यापिका को बता दी थी मुझे मालूम नहीं था कि वो उसका फायदा उठाने के लिए अपनी लड़के को मेरे पीछे लगा चुकी थी। धीरे धीरे अतुल ने मुझसे दोस्ती करनी शुरू कर दी। वो मेरे घर आता था और बाज़ार से अच्छी अच्छी चीजें लाता था खाने की।

क्योंकि मैं उदयपुर में अकेली ही मकान किराये पर लेकर रहती थी तो भी वो जब भी आता था बड़े अच्छे से पेश आता था। जिससे मुझे उसमें एक अच्छे दोस्त के गुण दिखने लगे। मुझे सेक्स के बारे में कुछ पता नहीं था।

एक दिन मैं मकान में अन्दर से कुन्डी लगाना भूल गई और स्कूल से आते ही नहाने चली गई, नहा कर तौलिया लपेट कर ही बाहर आ गई, बाहर आते ही अतुल को देख कर चौंक गई। और वापिस बाथरूम में चली गई। वहीं से अतुल से कहा की कमरे में बिस्तर पर रखे मेरे कपड़े मुझे दे दो। वो कपड़े लेकर आया और जैसे ही मैंने कपड़े लेने के लिए बाथरूम से हाथ बाहर निकाला उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कपड़ों के साथ बाथरूम में आ गया। मैं रो पड़ी मेरा रोना देख के वो दोनों हाथों से मेरे आँसू पौंछने लगा और फ़िर मुझे चुप करा के बाहर चला गया।

मैं कपड़े पहन कर बाहर आई। शर्म के मारे मैं अतुल से आँखें नहीं मिला पा रही थी। उसने प्यार से मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे गालों पर चूम लिया। मैं शरमा के रसोई में चली गई और दो कप चाय बना के ले आई। अतुल गरम गरम पकौड़े लेकर आया था हमने चाय पकौड़े खाए और फ़िर फ़िल्म देखने गए।

फ़िल्म देखते देखते अतुल के हाथ मेरे मम्मों पे फिसलने लगे मैंने झटके से उसके हाथ हटा दिए। लेकिन वह बार बार जब मेरे मम्मों परहाथ लगाने लगा तो मुझे भी मजा आने लगा। फ़िर उसने मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरी जांघें भी सहलाई, मुझे बड़ा मजा आने लगा था मैं समझ नहीं पा रही थी।

रास्ते में वापिस घर जाते हुए मैं उसके स्कूटर पे उससे चिपक के बैठी थी। वो मुझे घर छोड़ के चला गया और बोला कल मैं एक कैसेट लेकर आऊंगा तब तुम सब समझ जोगी। असली मजा क्या होता है।

उसके बाद अगले दिन वह ब्लू फ़िल्म की कैसेट लेकर आया और मुझे बोला- आओ इसका मजा लें।

मैं स्कूल से आकर नहा कर केवल स्कर्ट और स्लीवलेस टॉप पहने हुई थी। मैंने कहा- क्या पियोगे?

उसने कहा- आज तो मैं बियर लाया हूँ और साथ में गर्म गर्म पकौड़े और उबले हुए अंडे भी।

मैंने थोड़ा शरमाते हुए पूछा- ये ब्लू फ़िल्म क्या होती है?

उसने कहा- तुम प्लेयर में लगाओ तो ख़ुद ही समझ जाओगी।

मैंने कहा- तुम इसे लगाओ, मैं अंडे और पकौड़े प्लेट में डाल के लाती हूँ।

हम दोनों सोफे पे बैठ के फ़िल्म देखते हुए बियर के सिप लेने लगे। एक ग्लास ख़त्म हुआ तब तक फ़िल्म में एक लड़का और एक लड़की नंगे होकर एक दूसरे का भरपूर मजा लेने लगे थे मैंने पहली बार किसी लड़के के लण्ड को देखा था वो भी खड़ा और तना हुआ। लड़की उसे मुंह में लेकर चूस रही थी। मैंने शर्म से आँखे बंद करली अचानक अतुल को शरारत सूझी, उसने बियर से भरा एक गिलास मेरे टॉप पे डाल दिया।

मैंने घबरा कर टॉप उतार दिया और बाँहों से मेरे ब्रा में कसे हुए बूब्स को ढकने का प्रयास किया। अतुल ने मेरे दोनों हाथ खोल दिए और मेरे होठों पे अपने होठ रख दिए मेरे होठों पे किसी मर्द का पहला चुम्बन पा कर मैं सिहर गई। लेकिन मुझे अच्छा लगा था।

मैंने अतुल को धक्का दिया तभी देखा सामने टीवी पर लड़का अपना लण्ड लड़की की चूत में डाल कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा था और लड़की ऊ उउ हा अआः या ...। या..। फक मी फक मी फास्टर ..ऊऊ ओह्ह ऊ ओह्ह आवाजें निकाल रही थी।

अतुल ने बियर का एक एक गिलास और बनाया और हमने झटपट बियर ख़त्म की और स्नैक्स भी। अब तक मुझमें भी नारी सुलभ उत्तेजना भर चुकी थी। फ़िर भी मैं अतुल को ही पहल करने देना चाहती थी। उसने देर नहीं की, पहले उसने अपने पैंट और शर्ट उतारी और मात्र अंडरवियर में मेरे पास आ कर मुझे सोफे पर लेटा दिया और मेरे पूरे बदन पे चुम्बनों की बौछार कर दी।

मैं मस्ती से भर उठी...टीवी पे भी चुदाई तेज हो गई थी उस लड़की की आवाजें सुन कर मैंने भी अतुल से कहा ऊ ऊऊ ओह्ह डीयर अतुल मुझे जी भर के चोद दो आज।

अतुल तो तैयार था उसने मेरी ब्रा हटाई और कस के दायें हाथ से मेरे बाएं बोबे को मसलने लगा और अपनी होठों से मेरे दायें बोबे को चूसने लगा मेरा मजा बढ़ता ही ज़ा रहा था।

टीवी में चुदाई का एक सीन ख़त्म हो चुका था और लड़की ने लड़के के लण्ड का सारा रस अपने मुहँ में ले लिया था।

मेरे बदन को चूमता हुआ अतुल मेरी जांघों के बीच पहुँच गया था उसने मेरी पैंटी भी हटा दी थी और मेरी चूत को चाटने लगा था, कभी मेरे दाने को मुँह में लेकर जोर से चूस लेता था और मैं चूतड़ उठा उठा के उसके भीतर के मर्द को उकसा रही थी- हाँ हाँ यूँ ही राजा बहुत मजा आ रहा है !हीई ईइ ऊ ओह ऊऊऊ उह्ह् आ आआ आअ.।

तभी उसने मुझा खड़ा किया और मेरे मुँह में अपना लण्ड देकर बोला इसे चूसो मेरे ज़ान! इतनी होट केंडी तुमने आज तक नहीं चूसी होगी।

सच उसके लण्ड का सुपाड़ा बहुत मोटा था। एक बार तो मुझे थोड़ा ख़राब लगा, फ़िर देखा टीवी में लड़की ने फ़िर से लड़के के लण्ड को चूसना शुरू कर दिया था। उसे देखकर मैं भी फ़िर से हिम्मत जुटा कर उसका लण्ड थोड़ा थोड़ा मुँह में लेने लगी। उसने मेरे बाल पकड़ कर एक जोर का धक्का दिया और उसके पूरा लण्ड मेरे मुँह में गले तक चला गया। मैं चीखना चाहती थी पर आवाज मुँह में ही दब गई।

थोड़ी देर मुँह में लण्ड आगे पीछे करने के बाद उसने मुझे सीधा लेटाया और अपने लण्ड का सुपाड़ा मेरी गर्मागर्म चूत पे रख के बोला- अब आँखे बंद कर लो रानी अब जो मजा आएगा वो तुम्हे स्वर्ग का आनंद देगा। मैंने सचमुच आँखे बंद कर ली उसने धीरे से मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ा और धीरे धीरे दो तीन धक्के दिए तब तक पूरा लण्ड अन्दर चला गया था, थोड़ा खून भी निकला था। मैं दर्द से छटपटा रही थी उसने मुझे कस के पकड़ रखा था और मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए थे।

कुछ देर टीवी में ध्यान लगाया। उन दोनों की दूसरी चुदाई देखकर और लड़की को हँसते हुए मजा लेते देख कर मेरे दर्द भी कम हो गया और फ़िर अतुल ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी। साथ ही बीच में वह मेरे बोबे दबा रहा था, चूस रहा था और जोर जोर से धक्के लगा रहा था।

मेरे मुँह से आह ..ऊउह् से हम...। ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्हूऊम्म्म्म्म्म्माआआअ./..। नुऊंनंह। य्य्याआआआआ द्द्द्दीईईईर्र्र्र्र्र्र्र्र्र चोदो ! आवाजें निकल रही थी

थोड़ी देर और धक्के लगाने के बाद अतुल ने मुझे घोड़ी बना लिया और फ़िर अपना लण्ड मेरी चूत में पीछे से डाल के धक्के लगाने लगा। मुझे अब ज्यादा मजा आ रहा था मैं जोर जोर से चिल्लाने लगी- ठीक है! हाँ यार! इसी तरह चोदो ! फाड़ डालो मेरी चूत को।

वह बोला तुम तो शरमा रही थी अब बोलो बहन की लौड़ी कितना मजा आ रहा है ! अतुल के धक्के तेज हो गए थे औए वह लगभग हांफ रहा थे और फ़िर उसने अपना लण्ड चूत से निकाल के मेरे मुँह में डाल दिया। उसके साथ ही उसके लण्ड से पिचकारी छूट गई। मैं पहले तो घबराई, फ़िर उसके वीर्य का स्वाद अच्छा लगने लगा था मैं सारा रस पी गई...!

तो दोस्तों इस तरह उसने डेढ़ घंटे में एक चुदाई पूरी की पर मेरी प्यास तो बढ़ गई थी अगली किश्त में मैं आपको बताउंगी कि कैसे उसने मजे देते हुए ३ घंटे तक चोदा और उसने क्या

शर्म की क्या बात .

यह बात तब की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। मेरी कक्षा की एक लड़की जिसका नाम शिवानी था, दिखने में बहुत सुन्दर थी। उसे देखकर किसी भी लड़के का लण्ड खड़ा हो सकता था।

हम दोनों में अच्छी दोस्ती थी। हम लोग कक्षा में आगे-पीछे ही बैठते थे। हम दोनों एक-दूसरे को खूब चिढ़ाते थे। मैंने कभी भी उसे उस नज़र से नहीं देखा था, पर एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि...

हुआ यह कि उसकी तबीयत ख़राब हो गई थी। डॉक्टर ने उसे २ हफ्ते तक आराम करने की सलाह दी थी। इसी कारण उसका स्कूल का काम छूट गया था। लगभग २ हफ्तों के बाद जब वह स्कूल आई तो उसने मुझसे कहा कि मेरा काम अधूरा है और उसे मेरी मदद चाहिए, क्योंकि मैं अपनी कक्षा का सर्वश्रेष्ठ पढ़ाकू भी था, साथ ही उसका घर मेरे घर के समीप भी था। मैंने भी उससे कह दिया कि आज स्कूल के बाद साथ में ही चलेंगे मेरे घर, वहीं तुम काम कर लेना।

छुट्टी के बाद हम दोनों घर जा रहे थे। चूँकि वह जुलाई का महीना था, अचानक बारिश शुरु हो गई। उसके सारे कपड़े गीले हो गए, जिससे उसकी चूचियाँ साफ दिख रहीं थीं।

ज़्यादा भीग जाने के कारण मैंने उससे कहा- जाओ अपने घर जाकर कपड़े बदल लो।

पर उसने कहा- मेरे घर पर आज कोई नहीं होगा और ताला लगा होगा।

मैंने कहा, ठीक है, चलो फिर मेरे घर।

मैं पहले बता दूँ कि मैं लगभग रात के ८ बजे तक अकेले रहता हूँ, क्योंकि मेरे मम्मी, पापा और दीदी तीनों ही नौकरी पर चले जाते हैं।

घर पहुँच मैंने उसे अपनी बहन के कपड़े दे दिए। चूँकि दोनों लगभग बराबर ही थीं उसे मेरी बहन के कपड़े ठीक-ठाक आ गए। उसने मुझसे कहा कि अपना मोबाईल दे दो, मैं अपनी मम्मी को बता दूँ कि मैं तुम्हारे घर पर हूँ। मैंने उसे मोबाईल दे दिया और ख़ुद कपड़े बदलने चला गया।

मैं जब १५ मिनटों के बाद आया तो मैंने देखा कि वह मेरे मोबाईल में ब्लू-फिल्म की क्लिप देख रही है। मैं डर गया कि कहीं वह गुस्सा ना हो जाए।

मुझे देखकर उसने जल्दी से वीडियो बन्द कर दी। मैंने उससे पूछा कि क्या देख रही थी, तो वह शरमा गई।

मैंने हिम्मत से काम लेते हुए उससे कहा- इसमें शरम की क्या बात। ब्लू-फिल्म देखकने में कोई बुराई नहीं।

मैं उससे पूछा - "मज़ा आया?"

तो उसने धीरे से हाँ कहा।

मैंने कहा- चलो साथ में देखते हैं। मोबाईल पे तो छोटी है, चलो कम्प्यूटर पर दिखाता हूँ।

मैंने कम्प्यूटर चालू करके उसपर एक ब्लू-फिल्म चालू कर दी। हम लोग साथ में लेट कर ब्लू-फिल्म देखने लगे।

वह गरम होने लगी। उसकी चूचियाँ एकदम कड़ी हो गईं थीं, मैं ग़ौर कर रहा था। मैंने धीरे से उसके पैरों पर हाथ रख दिया और वह कुछ ना बोली।

यह देख मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने उसकी चूचियाँ दबा दीं, और उसके होठों पर चुम्बन ले लिया। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी, वह उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। इधर साथ में मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था। मेरा लण्ड उसकी चूत पर टकरा कर एक रॉड की तरह कड़क हो गया था और जीन्स फाड़ कर बाहर आना चाह रहा था।

मैंने उसकी टॉप उतार दी। उसने ब्रा नहीं पहनी थी, उसकी छोटी-छोटी चूचियाँ देखकर मैं पागल हो गया। मैं उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा। उसके मुँह से सिसकियाँ निकल रहीं थीं। मैंने अपना हाथ जब उसकी स्कर्ट में डाला तो जाना कि उसकी पैन्टी पूरी गीली थी। वह शायद झड़ चुकी थी। मैंने उसकी स्कर्ट और पैन्टी उतार दी और उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत एकदम गुलाबी और बिना बालों की थी।

उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वह कहे जा रही थी, "और ज़ोर से चूस... और ज़ोर से..."

मैंने चूसना बन्द कर दिया। वह गिड़गिड़ाने लगी कि प्लीज़ चूसो...

मैंने कहा कि उसके लिए तुम्हे मेरा लंड चूसना पड़ेगा तो उसने हमी भर दी। मैंने उससे कहा कि मेरा लण्ड निकाल लो। उसने मेरी जीन्स और अण्डरवियार निकाल दी और मेरे लण्ड को चूसने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। हम 69 की मुद्रा में आ गए।

जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, तो मैंने उसके मुँह को चोदना शुरु कर दिया। इतने में वह झड़ गई। मैं भी झड़ गया, उसका पूरा मुँह मेरे जूस से भर गया।

थोड़ी देरे में मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उसे लिटा दिया और उसके पैर फैला दिए। मेरा लण्ड हल्का सा ही घुसा था कि वह चिल्लाने लगी कि छोड़ दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है और वह रोने लगी। पर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।

कुछ देर के बाद उसे भी मज़ा आने लगा था और वह कह रही थी - "फक मी अंकित... फक मी... फक मी हार्डर..."

थोड़ी देर में हम दोनों साथ में झड़ गए।

मैंने उसेक बाद उसे खूब चूमा, और फिर से उसकी चूत मारी।

मैंने उसकी गाँड भी मारी

मेरी प्यासी बहना .

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यह दिल मांगे मोर

मैं आज अपने मायके आ गई, सोचा कि कुछ समय अपने भाई और माता पिता के साथ गुजार लूँ। मेरी माँ और पिता एक सरकरी विभाग में काम करते हैं, भैया कॉलेज में पढ़ता है। आप जानते हैं ना चुदाई एक ऐसी चीज़ है जिसके बिना हम लड़कियाँ तो बिल्कुल नहीं रह पाती। यहां मायके में भी यही हाल हुआ। ये चूत है कि लण्ड मांगे मोर...। बोबे भी फ़ड़क उठते हैं... गांड भी लण्ड दिखते ही लचकदार होकर अदाएँ दिखाने लगती है... चाल ही बदल जाती है। देखने वाला भी समझ जाता है कि अब ये लण्ड की भूखी है। बाहर से हम चाहे जितनी भी गम्भीर लगें, सोबर लगें पर हमारी नजरें तो पैन्ट के अन्दर लण्ड तक उतर जाती हैं। लड़कों का खड़ा लण्ड नजर आने लगता है।

मैं खिड़की पर खड़ी सब्जी काट रही थी की भैया आया और बिना इधर उधर देखे बाहर ही दीवार पर अपना लण्ड निकाल कर पेशाब करने लगा। मेरा दिल धक से रह गया। इतना बड़ा और मोटा लण्ड... भैया ने पेशाब किया और लण्ड को झटका और पेण्ट में घुसा लिया। मैं तुरन्त एक तरफ़ हो गयी। भैया अन्दर आ गया और मुझे रसोई में देख कर थोड़ा विचलित हो गया ... उसे लगा को शायद मैने उसे पेशाब करते हुये देख लिया है।

"ये खिड़की क्या खुली हुई थी..."

"हां क्यो, क्या बात है..."

"नहीं यू ही बस ...।"

"हां... तुम वहा पेशाब कर रहे थे न..." मैं मुस्कराई और उसकी पेन्ट की तरफ़ देखा

भैया शर्मा गया।

"धत्त , तुझे शरम नही मुझे देखते हुये"

"शरम कैसी... ये तो सबके होता है ना, बस तेरा थोड़ा सा बड़ा है..."

"दीदी..." वो शरमा कर बाहर चला गया। मुझे हंसी आ गयी। हां, मेरा दिल जरूर मचल गया हा। पर भैया भी चालू निकला, वो जब भी खिड़की खुली देखता तो वहा पेशाब करने खड़ा हो जाता था... और मुझे अब वो जान करके अपना लण्ड दिखाता था। मेरा मन विचलित होता गया। एक बार मैने उससे कह ही दिया...

"बबलू... तू रोज़ ही वहा पेशाब क्यो करता है रे..."

"मुझे अच्छा लगता है वहां"

"... या मुझे दिखाता है...अपना वो..."

"दीदी, आप भी तो देखती हो ना... फिर ये तो सबका एक सा होता है ना..."

" जा रे... तू दिखायेगा तो मैं देखूंगी ही ना... फिर..." मैं शर्मा सी उठी

"दीदी... तेरी तो शादी हो गई है...तुझे क्या..."

"अच्छा छोड़, मैं स्टूल पर चढ कर वो समान उतारती हू, तू मेरा ध्यान रखना...मैं कही गिर ना जाऊ"

मैं स्टूल पर चढी, और कहा "बबलू... मेरी कमर थाम ले...और ध्यान रखना..."

समान उतार कर मैं ज्योही स्टूल पर से उतरी बबलू ने मुझे उतरते हुये अपनी तरफ़ खींच लिया।

"धीरे धीरे दीदी..."और उसने मुझे ऐसे उतारना चालू किया कि मेरे बोबे तक दबा डाले धीरे धीरे सरकते हुए वो मुझे नीचे उतारने लगा और मेरे चूतड़ उससे चिपकते हुए उसके लण्ड तक पहुंच गये। अब हाल ये था की मेरे दोनो बोबे उसके कब्जे में थे और उसका लण्ड मेरे पटीकोट को दबाते हुए गाण्ड में घुस गया था। उसके मोटे लण्ड का स्पर्श मैं अपने दोनो चुतड़ो के बीच महसूस कर रही थी। मैने उसे देखा तो उसकी आंखे बंद थी... और मुझे वो कस कर जकड़ा था। शायद उसे मजा आ रहा था। मुझे बहुत ही मजा आने लगा था। पर शराफ़त का तकाजा था कि एक बार तो कह ही दू..."अरे छोड़ ना...क्या कर रहा है..."

"ओह दीदी... मुझे ना क्या हो गया था... सॉरी..."

"बड़े प्यार से सॉरी कह दिया... "मैने उसकी हिम्मत बढाई।

"दीदी क्या करू बस आपको देख कर प्यार उमड़ पड़ता है..."

"और वो जो खड़ा हो जाता है... उसका क्या"

"दीदी... वो तो पता नही , बस हो गया था" और मुस्कराता हुआ बाहर चला गया।

रात को सब सो गये तब मन में वासना जाग उठी। भैया के अन्दर का शैतान जाग उठा और मेरी अन्तर्वासना जाग उठी। जवान जिस्मो को अब खेल चाहिये था। दोनो के तन बदन में आग लगी हुई थी। कैसे शैतान ने काम किया कि हम दोनो को एक दूसरे की जरुरत महसूस होने लगी । हम दोनो लेटे हुये एक दूसरे को देख रहे थे... आंखो ही आंखो में वासना भरे इशारे हो रहे थे। भैया ने तो अपना लण्ड ही दबाना शुरू कर दिया, मैने भी उसे देख कर अपने होंठ दांतो से काट लिये। मैने उसे अपने बोबे अपना ब्लाऊज नीचे खींच कर दिखा दिये और दबा भी दिये। अब मैने चादर के अन्दर ही अपनी पेण्टी उतार दी और ब्रा खींच कर खोल दी। पेटीकोट को ऊपर उठा लिया... और अपनी चूत सहलाने लगी। ऊपर साफ़ दिख रहा था मेरा चूत का मसलना...

"दीदी, आप यही क्यो नही आ जाती , अपन बाते करेंगे"

"क्या बात करेंगे... मुझे पता है... तुझे भी पता है...आजा मेरे भैया..."

हम दोनो बिस्तर से उतर कर खड़े हो गये। धीरे धीरे एक दूसरे के समीप आ गये और फिर हम दोनो आपस में लिपट पड़े। मेरा अस्त व्यस्त ब्लाऊज और पेटीकोट धीले हो कर जाने कब नीचे खिसक गये, उसका पजामा भी नीचे उतर गया। हम नंगे खड़े थे। हम दोनो अब एक दूसरे को चूमने लगे। उसका लण्ड मेरी नगी चूत पर ठोकरे मारने लगा।

मैं भी निशाना लगा कर लण्ड को लपकने की कोशिश करने लगी कि उसे अन्दर ले लूं। हम दोनो के नगे और चिकने जिस्म रगड़ खाने लगे। जाने हम दोनो के होंठ कब एक दूसरे से चिपक गये। बबलू ने खुद को नीचे करते हुए मेरी गीली चूत में लण्ड घुसाने कोशिश करने लगा। उसका लण्ड मुझे यहा वहा रगड़ खा कर मस्ती दे रहा था। मेरी चूत अब लप लप करने लगी थी। तभी लगा की लण्ड ने चूत में प्रवेश कर लिया है। मैने अपनी एक टांग कुर्सी पर रख ली और चूत का द्वार और खोल दिया। लण्ड अन्दर घुस पड़ा। मीठा मीठा सा मजा आने लगा ... मैने भी अपनी चूत उसके लण्ड पर दबा दी , उसका लण्ड पूरा अन्दर तक उतर गया।

अब मैने अपनी टांग नीचे कर ली। और भैया को जकड़ लिया। हम एक दूसरे से चिपके हुये कमर को हौले हौले चलाने लग गये। गीली और चिकनी चूत में लण्ड अन्दर बाहर फ़िसलने लगा। मुझे चुदाई का नशा सा आने लगा। बबलू का मोटा लण्ड मुझे भरपूर मजा दे रहा था। हम काफ़ी देर तक यू ही वासना की कसक भरी मस्ती लेते रहे। वो धीरे धीरे मुझे चोदता रहा... अब मुझे लगा कि कही मैं झड़ ना जाऊ... पर देर हो चुकी थी...मेरी चूत में पानी उतरने लगा था, सब्र टूट रहा था... मेरी सांसे जोर से चलने लगी और मेरा पानी छूट पड़ा। पर मैं उससे चिपकी रही। भैया मुझे हौले हौले चोदता ही रहा। धीरे धीरे मुझे फिर से चुदने का मजा आने लगा। मैं फिर से उसे पकड़ कर चिपट गयी। वो मेरे बोबे दबाता रहा और चोदता रहा, उसमें दम था...

“दीदी ... अब उल्टी हो जाओ दूसरा मजा भी लू क्या ?”

“मेरे प्यारे भैया ... हाय रे गान्ड चोदेगा क्या...” उसने हां में सर हिलाया। मैं उसकी तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गयी। उसने मुझे घोड़ी जैसा झुकाया और झुक कर देखा, पास में पड़ी शीशी से क्रीम निकाली और गाण्ड में भर दी।

“क्रीम मत लगा, मेरी गाण्ड तो वैसे ही खुली हुई है... खूब लण्ड खा लेती है...” मैने उसे बताया पर तब तक उसका लौड़ा मेरी गाण्ड में घुस चुका था। लण्ड गाण्ड में कसता हुआ जा रहा था पर दर्द नही हुआ। बस एक मीठी सी सुरसुरी होने लगी। उसका लौड़ा मेरी गाण्ड में पूरा अन्दर तक बैठ गया था।

मैने फ़्री स्टाईल में कमर हिलानी शुरू कर दी पर भैया को मजा चाहिये था, सो उसने मुझे सीधा खड़ा कर दिया और और मेरी पीठ अपने से चिपका ली । मेरे बड़े बड़े बोबे थाम कर उसे मसलना चालू कर दिया और लण्ड को हौले हौले गाण्ड में चलाने लगा। लण्ड का पूरा मजा आ रहा था। उसका साईज़ मेरे चूतड़ो तक को महसूस हो रहा था मुझे अब थोड़ी सी इस पोज में तकलीफ़ होने लगी थी सो मैं अब झुकने लगी और घोड़ी बनने लगी चुदते चुदते ही मैने अपने अपने हाथ कुर्सी पर टिका दिये और अपने पांव खोल दिये। उसका लण्ड अब अच्छी तरह से तेज चलने लगा। मैने भी चूतड़ो कि ताल में हिला कर गाण्ड मरवाने लगी। अब मुझे भी मस्ती आने लगी थी। भैया गाण्ड मारने में माहिर था। अब तो मेरी चूत भी फिर से तैयार थी, भैया ने मेरा इशारा समझा और लण्ड को गाण्ड में से निकाल कर फिर से चूत में पिरो दिया। मेरी चूत में मजे की तरावट आ गयी। खूब गुदगुदी भरी मिठास उठने लगी।

मैने भी चूत को गाण्ड के साथ नचाना शुरू कर दिया और मजा तेजआने लगा। चूत के पानी का चिकनापन से चोदते समय फ़च फ़च की आवाज आने लगी थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमट कर रह गई थी। मस्ती सर पर चढ चुकी थी। चुदाई जोरो पर थी। भैया तूफ़ानी गति से कस कर धक्के मार रहा था। मेरी चूत बेहाल हो उठी थी। अब लग रहा था कि मेरा माल निकलने वाला है... उत्तेजना चरम दौर पर थी... चूत पर लण्ड की चोट मुझे मस्त किये दे रही थी। अचानक भैया ने लण्ड मेरी चूत में दबा दिया और मेरी कमर कस कर भींच दी ।

“दीदी... दीदी... हाय... आह्ह्ह ... मेरा लण्ड गया... दीदी... मेरा निकला...ऊईईईईई...ऐह्ह्ह्ह्ह्ह्...”

तभी मेरी भी सारी नसे जैसे खिंच उठी और मैं तड़प उठी। मेरा भी पानी जैसे अन्दर से उबल पड़ा और मैं झड़ने लगी। तभी भैया के लण्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी। लण्ड बाहर निकाल कर सारा वीर्य छोड़ दिया। उसका लण्ड रह रह कर रस बरसा रहा था। मेरी गाण्ड पूरी वीर्य से तर हो चुकी थी। वो लगता था थक गया था। उसने पास पड़े कपड़े से मेरे चूतड़ साफ़ कर दिये और अपना लण्ड भी पोंछ डाला। हम दोनो फिर से आपस में लिपट गये और प्यार करने लगे।

अब हम एक ही बिस्तर में लेटे थे और एक दूसरे के साथ खेल खेलने लगे थे। मुझे तो उसे फिर से उत्तेजित करना था। मेरा तो रात भर का कार्यक्रम था... कुछ देर में भैया फिर से तैयार था ... उसका लण्ड कड़क हो चुका था... मैं भी चुदने को तैयार थी... उसने मेरे ऊपर चढ कर मुझे दबा डाला... और उसका लण्ड एक बार फिर से मेरी चूत में घुसता चला गया... मेरी सिसकारिया मुख से फ़ूट उठी... लण्ड और चूत का घमासान युद्ध होने

भाई बहन का प्यार

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समीर की सेक्स कहानी .

मैं गुड़गांव में रहता हूँ। यह बात उस समय की है जब हमारे पड़ोस में एक लड़की अपने मामा के यहाँ रहने आई। उसका नाम मोनिका था। वो बिहार की रहने वाली थी, उसका रंग सांवला था पर उसके स्तन एकदम सेब की तरह टाइट थे। उसके कूल्हे मस्त थे, जब वो चलती थी तो उसके कूल्हों की उठा-पटक देख कर गली के लड़कों के लंड ज़िप तोड़ने के लिये बेकरार हो जाते थे।

वो कभी-कभी हमारे घर टीवी पर मूवी देखने आ जाती थी। जब वो हमारे यहाँ आती थी तो मेरी नजरें सिर्फ़ उसके कूल्हों पर ही रहती थी। उसके स्तन उसकी चोली को फाड़ने के लिये बेबस होते नजर आते थे।

एक दिन हमारे घर के सभी लोग एक शादी में गये थे। उस दिन जब वो हमारे यहां आई तब मैं अपने घर में इंगलिश मूवी देख रहा था, वो चुपचाप आकर मेरे पीछे खड़ी हो गई मैंने उसे नहीं देखा, मूवी में चुदाई का सीन आ रहा था, लड़का अपना लंड लड़की की गांड में दे कर चुदाई का मजा लूट रहा था। मैं भी अपने मोटे लंड को हाथों में लेकर बैठा था, मेरा लौड़ा टाइट होता जा रहा था, अचानक पीछे रखे गिलास के लुढ़कने की आवाज आई तो मैंने घूम कर देखा तो मोनिका मेरे पीछे खड़ी मूवी को बड़े ध्यान से देख रही थी, उसकी आंखें बिल्कुल लाल हो रही थी। मैंने जल्दी से पास पड़े तौलिए को उठा कर अपने लौड़े पर डाल लिया।

वो भी सकपका गई। मैंने उसको अपने पास बैठने के लिये बोला तो वो आकर बैठ गई। मैंने उससे पूछा- तुम कब आई?

तो वो शरमाते हुए बोली- जब हीरो हिरोइन को किस कर रहा था, तब !

मैं समझ गया कि उसने पूरी चुदाई देखी है। मैंने उसके हाथ को छुआ तो वो पूरी कांप रही थी, मेरे हाथ पकड़ने का उसने कोई विरोध नहीं किया। मैं समझ गया कि आज तो जिंदगी का मजा लूटा जा सकता है। मैंने उससे पूछा- आज हमारे यहीं रूकोगी क्या ? क्योंकि आज हमारे यहां भी कोई नहीं है।

मैं यह जानना चाहता था कि उसके मन में क्या है, तो वो बोली- मुझे डर लगता है !

मेरा लौड़ा चोदने के लिये बेकरार था, उसने लाल रंग की गहरे गले की चोली पहन रखी थी, उसके स्तन ऊपर से बाहर झांक रहे थे, वो बहुत सेक्सी लग रही थी।

मैंने उसको खाने के लिये स्वीट्स दी, मैंने टीवी का चैनल नहीं बदला। थोड़ी देर बाद फिर चुदाई के दृश्य आये तो मैं उसकी तरफ़ देखने लगा, उसकी आंखें सेक्स से भरी नजर आ रही थी।

हीरो ने जैसे ही अपना लौड़ा बाहर निकाला तो उसके मुँह से उफ निकला मेरा लौड़ा भी टाइट हो रहा था, मैंने उसके कंधों पर अपना हाथ रखा तो वो बिल्कुल मेरे करीब आ गई। मेरे हिम्मत बढ़ गई, मैं अपने हाथ को धीरे-धीरे उसके वक्ष के ऊपर ले जाकर उनको सहलाने लगा। उसके मुँह से मीठी-मीठी आवाजें आने लगी। मैंने उसकी चोली को धीरे से ऊपर सरकाना शुरु कर दिया। नीचे उसने ब्रा भी नहीं पहन रखी थी। वो मस्त होती जा रही थी।

वो बोली- मुझे डर लग रहा है !

मैंने पूछा- क्यों जान?

तो वो बोली- मैंने आज तक सेक्स नहीं किया है !

मैंने सोचा कि मुझे बना रही है, मैं बोला- डरो मत ! मैं सिखा दूंगा।

मैंने उसकी चूत पर अपना हाथ रख दिया तो देखा कि उसकी चूत ने पानी छोड़ रखा था। मैं धीरे-धीरे उसकी चूत को सहलाने लगा। उसने मुझे बाहों में भर लिया। मैंने उसकी कच्छी को उतार दिया, वो शरमा गई। फिर मैंने उसको कहा कि अब वो मेरे कच्छे को उतार दे।

वो फ़िर शरमा गई, तब मैंने अपने लंड को आजाद कर लिया। वो मेरे लंड को प्यासी नजरों से देखने लगी और बोली- यह तो बहुत मोटा है मेरी चूत तो फट जायेगी ?

मैंने कहा- रानी यह तुझे जवानी के मजे देगा !

वो बोली- अब मैं क्या करूं ?

तो मैंने कहा- जिस तरह फ़िल्म की हिरोइन कर रही थी, वैसे ही कर !

उसने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और हिलाने लगी। फिर धीरे से लौड़े को अपने मुँह में लेने लगी। मेरा लंड इतना मोटा था कि उसके मुँह में नहीं आ रहा था। वो उसे चाटने लगी। मेरा लंड बार-बार हिल रहा था। उसको लंड चाटने में मजा आ रहा था, वो बोली- यह इतना मस्त लग रहा है कि दिल कर रहा है कि इसको खा जाऊं !

मैंने कहा- जान, अगर तो इसको खा जायेगी तो मैं तुझे कैसे चोदूंगा ?

फिर धीरे-धीरे उसने लंड के टोपे को मुँह में ले ही लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं अब उसकी चूत में अपनी उंगली डालने के लिये चूत पर घुमाने लगा। उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे उसकी चूत बिल्कुत उभरी हुई थी। पर मेरी उंगली उस चूत में आगे नहीं बढ़ी तो मैं समझ गया कि वो बिल्कुल अनछुई है। मैं बहुत खुश हुआ कि आज तो कुंवारी चूत की सील तोड़ने का मौका मिल ही गया।

मैंने उसको बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले गया, उसको बड़े प्यार से बेड पर लिटा दिया। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। उसके कूल्हे वास्तव में जैसे बाहर से दिखते थे उससे भी कहीं ज्यादा गोल और कसे थे।मैंने उसे कहा- अपनी टांगें चौड़ी कर ले !

उसने वैसा ही किया। अब मेरा लौड़ा उसकी सील तोड़ने के लिये मस्त हो रहा था।

मैंने अपने लंड को आगे किया और कुंवारी चूत से भिड़ाया तो वो मस्ती से हिल पड़ी। मैं शॉट लगाने को बिल्कुल तैयार था, मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत में थोड़ा सा लगा कर अन्दर किया तो वो चिल्ला पड़ी- हाय ! मेरी चूत फट जायेगी !

तब मैंने अपने लंड को वापस बाहर निकाल कर उस पर क्रीम लगाई। अब वापस लौड़ा उसकी चूत में डालने लगा तो वो दर्द से तड़प उठी, अपने कूल्हों को हिलाने लगी तो मैंने कहा- जान, बस एक बार थोड़ा सा दर्द होगा, फिर जिंदगी भर तुम लंड के मजे ले सकती हो।

वो बोली- आज तो मैं मजे लेकर रहूंगी !

उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मेरे लौड़ा आठ इंच का है, मैंने धीरे-धीरे लौड़े को चूत में डालना शुरू किया। दो धक्के मारने पर लंड का टोपा उसकी मस्त चूत में घुस गया। वो दर्द से तड़प गई। मैं दो मिनट के लिये वैसे ही लेटा रहा। उसने अपनी चूत को जैसे ही थोड़ा ढीला किया, मैंने एक जोर का झटका मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा घुस गया।

वो बुरी तरह चिल्ला उठी- हाय, मार डाला !

उसकी चूत से गरम-गरम खून आने लगा। शायद उसने नहीं देखा, मैं कुछ देर रुक गया।

थोड़ी देर में उसने अपने कूल्हे हिलाने शुरू कर दिये तो मैं समझ गया कि अब दर्द कम हो रहा है। बस फिर मैं अपने लंड को हिलाने लगा उसकी चूत में मेरा लंड टकराने लगा। वो कस-कस कर लंड का स्वाद लेने लगी। मैं बीस मिनट तक उसकी चूत को अपने लंड से चोदता रहा।

अब वो भी पूरे मजे ले रही थी। मेरा लंड टाइट चूत में टकरा २ कर घायल हो गया। उसकी मस्त चूत ने पानी छोड़ दिया उसकी चुदाई में मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरा लंड उसकी चूत को नहलाने को तैयार था। मेरे लंड की तेज पिचकारी ने उसकी चूत को पूरा भर दिया, उसने अपनी टांगें जब तक ढीली नहीं की जब तक मेरे वीर्य की आखिरी बूंद नहीं निकल गई।

अब हम दोनों अलग हो गये तो वो बहुत खुश नजर आ रही थी, मेरे होंठों पर चूम कर वो बोली- राजा, आज तूने मुझे लड़की होने का मजा दे दिया ! आज मैं पूरी रात इस मजे को लूंगी !

मैंने भी कह दिया- तेरी सील बहुत टाइट थी पर मेरे इस लंड ने आखिर उसे फाड़ ही दिया।

वो बोली- तेरा लंड नहीं। यह तो हथौड़ा है ! यह दीवार में भी छेद कर दे ! यह तो मेरी कुंवारी चूत थी।

फिर वो रसोई में जाकर दूध ले आई, हम दोनों ने दूध पिया। तब उसने चादर को बदल दिया, बोली- इसे बाद में धोएंगे, पहले लंड का और मजा तो ले लूँ। मैं बाथरूम में जाकर अपने लंड को धो आया, आज मैं बहुत खुश था, वापस आते ही उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया। वो बोली- आज इसने मेहनत की है, देखो, लाल हो गया है।

थोड़ी देर में मेरा लंड फिर चुदाई के लिये तैयार था। इस बार मैंने उसको कुतिया बना कर चोदा। वो आज बहुत खुश थी। यारो, क्या बताऊँ कि जिंदगी में मैंने ऐसी चुदाई पहली बार की।

उसके बाद वो अपने घर बिहार वापस चली गई पर दोबारा आने को कह गई। अब इन्तजार है कि अगले महीने वो आयेगी तो आगे की कहानी फिर आने पर सुनाउंगा।

Rajesh uncle ke sath sex.

हम तीन सहेलियाँ हैं रोज़ी, पिंकी और मैं पायल !

मैं अपनी दोनों सहेलियों से एक साल बड़ी हूँ, बीमार होने की वजह से मेरी एक क्लास ड्राप हो गई थी। मुझे समय से पहले ही जवानी आने लगी है, अब तो मैं काफी बड़ी लगने लगी हूँ।

मैं अक्सर शाम को रोज़ी के घर चली जाती हूँ, उसमें अभी भी बचपना सा है। हम एक साथ खेलती, कूदती हैं। उसने घर की पीछे के हिस्से में बेडमिंटन का जाल लगा रखा है। राजेश अंकल रोज़ी के पापा हैं, वो देखने में ही ठरकी किस्म के हैं, उनकी नज़रें मेरी छातियो पर ज्यादा टिकती हैं और अब मैं यह जान चुकी थी कि वो मुझ में कुछ ज्यादा ध्यान देने लगे, मैं सब समझती थी क्यूंकि मैं भी रोज़ रात को कंप्यूटर पर बैठ चेटिंग,सर्फिंग, वेबसाइट्स देखती और पढ़ती हूँ, मुझे सब चीज़ों का पता है, हिंदी में इन सबको क्या कहते हैं, मैं सब नेट से जान चुकी हूँ।

मैं भी शाम को स्कर्ट पहन कर जाती थी, जब मैं उछलती तो स्कर्ट उड़ती, अंकल अखबार सामने रख चोरी-चोरी मेरी चिकनी जांघें देख अपना लौड़ा खुजलाते। वैसे अब बाहर भी कई लड़के मेरे चारों तरफ मंडराने लगे हैं, फिर तो अंकल बढ़ने लगे और मुझे कहते- तुझे खेलना सिखाता हूँ !

मुझे मालूम था कि वो क्या खेल सिखाना चाहते थे। बहाने से मुझे छूते। उनके स्पर्श से मुझे कुछ होने लगता। कभी रैकट पकड़ना सिखाने के बहाने पीछे से मेरी गांड पर अपना लौड़ा रगड़ते, अंकल को मालूम था कि मैं सब जानती हूँ क्यूंकि एक दिन जब वो मेरे पीछे आये थे तो मैंने खुद गांड पीछे दबा दी थी।

एक दिन शाम को जब मैं वहां गई तो रोज़ी घर पर नहीं थी, ना ही उसकी मम्मी और उसका छोटा भाई !

शनिवार था, वो अपने नानी के घर गई हुई थी, मैं वापस आने लगी तो अंकल बोले- आ जा ! मेरे साथ खेल ले बेडमिन्टन !

न जाने मुझे क्यूँ लगा कि अंकल ने आज जानबूझ कर सब को घर से भेजा है ताकि वो मुझ से मजे कर सकें !

नहीं अंकल ! कल आऊँगी ! कहकर मैं मुड़ने लगी ही थी कि उन्होंने मेरी कलाई पकड़ मुझे अपनी तरफ खींच लिया। एक झटके में मैं उनकी बाँहों में थी, मेरा चेहरा उनके चेहरे के बहुत करीब था, अंकल ने ताज़ी शेव की थी, उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए !

मैं भी उनके चुम्बन का प्रत्युत्तर देने लगी। नीचे से उनका दूसरा हाथ मेरी स्कर्ट में था। मुझे बहुत मजा आ रहा था, अंकल ने मेरे होंठ छोड़ते हुए कहा- चल, बिस्तर में चलते हैं !

मैंने थोड़ा ड्रामा करते हुए कहा- नहीं ! यह सब ठीक नहीं है, मुझे जाने दो !

मुझे कस कर बाँहों में भर अंकल बोले- आज मौका है रानी, तुझे जन्नत दिखाता हूँ !

मुझे बाँहों में उठा अपने बेडरूम में ले गए और मेरी स्कर्ट खोल दी और पैंटी नीचे करते ही अपने होंठ मेरी कुंवारी चूत पर रख दिए।

बहुत ठरकी थे वो !

मुझे मजा आने लगा. वो इस तरह चूत चाट रहे थे जैसे बहुत मीठी हो ! मैं पूरी गर्म हो चुकी थी। अंकल ने ने अपना सब कुछ उतार दिया मुझे 69 की अवस्था में आने को कहा। मैं उनके ऊपर थी, उन्होंने पकड़ कर लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया और मैं चूसने लगी। बहुत मजेदार लौड़ा था उनका ! जो मैंने इन्टरनेट पर देखा था, सब वही खेल मेरे सामने था। अंकल की पूरी जुबान मेरी चूत में घुस जाती, जब वो अन्दर घुमाते तो मैं पागल होकर उनका लौड़ा चूसती !

कुतिया मज़ा आ रहा है? कभी पहले किसी ने चूसी है तेरी?

नहीं अंकल !

कोई यार बनाया है अभी तक तुम दोनों ने ?

क्या ऊँगली डालती हो तुम सहेलियाँ एक दूसरी की चूत में ?

नहीं अंकल ! नहीं डालती !

लौड़ा डलवाएगी मेरा ?

हाँ अंकल !

कुछ कुछ हो रहा है !

हाय मेरी जान ! देख बुड्ढे का लौड़ा है ! पसंद है तुझे ?

हां पसंद है जानू ! फक मी ! अब कुछ करो !

मैंने अब खुद पकड़कर मुँह में डाल लिया और चूसने लगी।

वाह मुन्नी वाह ! अंकल बोले- चल कर टांगें चौड़ी कर और देख जलवा !

अंकल ने लौड़ा चूत पर रखते हुए झटका दिया, उसका टोपा मेरी चूत की फांको में फंस गया।

दर्द से हिल गई मैं !

छोड़ दो अंकल ! अभी छोटी है मेरी ! यह नहीं सहेगी !

चल कुतिया ! रंडी साली ! मुझे सब मालूम है- एक साथ तीनों कमरे में घुस कर इन्टरनेट पर क्या क्या देखती हो !

थोड़ा तेल लगा अंकल ने झटका मारा, उनका आधा लौड़ा चूत में फंस गया। मैं बेहोश होने लगी। खून से उनका लौड़ा लथपथ हो चुका था, झिल्ली फट चुकी थी एक और झटके में पूरा जड़ तक घुस गया। अंकल ने मेरे होंठ नहीं छोड़े ताकि आवाज़ न निकले !

फिर सारा लौड़ा निकाल कर साफ़ किया, चूत को साफ़ किया, तेल लगाया और फिर से घुसा दिया !

अब थोड़ा आराम से घिसता हुआ चला गया। फिर निकाला और फिर से थोड़ा तेल लगा कर डाला और अब मजे से आगे पीछे होने लगा। मुझे अब सब दर्द भूल गया। नीचे से गांड अपने आप उठने लगी झटकों के साथ साथ !

वो कभी एक चुचूक चूसते कभी दूसरा ! कभी कभी पूरा मम्मा मुँह में डाल लेते ! मेरी आंखें मस्ती से बंद होने लगी ! अंकल की रफ़्तार बढ़ने लगी। मैं एक बार झड़ चुकी थी। मेरी गर्मी से उनका भी पिघल गया और तेज़ तेज़ झटकों के साथ उन्होंने मेरी चूत अपने रस से भर दी और मुझे चुदाई का सुख दिया। मैं मस्ती में इतनी पागल हो चुकी थी कि आंखें नहीं खुल रही थी। वो काफी देर मेरे नंगे जिस्म को सहलाते, दबाते रहे। उसके बाद अगले दिन सुबह ही आने को कहा।

उसके बाद क्या-क्या हुआ। यह जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहो और मुझे मेल करो !

जल्दी ही अगले भाग के साथ आपके सामने हाज़िर हूँगी !

बाय बाय !